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'''तुम्हारे बिना'''1कोई मिलता भी कैसे, चाहा नहीं किसी को।सिर्फ चाहा जब तुम्हें ही, समय पाखी बन उड़ा..।2जाऊँगा कहाँ मैं तुम्हारे बिनारही तुम्हीं मंजिल रास्ता तुम्हीं हो!20/10/243भीड़ और कोलहल, फिर भी अकेला मन कोई ना आया, याद तेरी आ गई!12/10/244कैसे मैं तेरा दुःख बाँटूँ कैसे पाश दुःखों के काटूँ निशदिन सोचूँ राह ना पाऊँपता नहीं किस द्वारे जाऊँ 12/9/20245जिस पल सोचा ढंग से जी लें,तभी किसी ने पत्थर मारा।कौन पाप मैंने कर डालासोच रहा है मन बेचारा।26/8/ 202466/8/ 2024महलों की रौशनी भटकाती हैं उम्रभर!रह -रहकर हमें टपकता छप्पर याद आया।6/8/ 20247हो कितना भी अँधेरा, तुम्हें कभी रुकना नहीं है।सुख -दुःख मौसम समझ लो, बीत ही सभी जाएँगेहम तुम्हारे साथ हैं, तुम्हें पथ में रुकना नहीं है।29/7/20248तुम समुद्र हो न?कहाँ से आते हो?इतना सारा प्यार कहाँ से लाते हो!कुछ तो बोलो वाणी में वही मिश्री घोलो7/7/20249मैं तुम्हारी रूह का ही एक हिस्सा हूँ =23लघुकथा में ज्यों पिरोया एक किस्सा हूँ-2319-6-2410पता नहीं कैसे हो त्राण?तुझमें अटके मेरे प्राण।12-6-241112-6-24सूर्य का मैं रोक दूँ रथबदल दूँ चाँद का भी पथ ।दिशा आँधी की उलट दूँधार सागर की पलट दूँ।12-6-24
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