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91
लुटीं पत्तियाँ
नंग - धड़ंग पेड़
लगें बेहया।
92
टीवी क्या आया
धूल खाती रेडियो
कोने में पड़ी।
93
जमी है झील
मुर्गाबी को ठंडक
होती न फील।
94
चुप है पार्क
बार- बार पूछता
कहाँ हैं बच्चे?
95
खिंचा सन्नाटा
किस विषधर ने
धोखे से काटा!
96
तुम हो मौन
अम्बर भी चुप है
चुप है पौन।
8/12/2024
</poem>
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