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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
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<poem>
28/11/2024
हे मेरे मन!
देते जो दुःख
अहर्निश क्लेश
पास न उनका
बचा है कोई जतन।
आँसू न बहाओ अब
गलाओ न तन।
साँझ -सवेरे
बोते रहे अँधेरे
बेमानी सब उनके
मधुर, कटु, वचन।
'''28/11/2024'''
</poem>
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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28/11/2024
हे मेरे मन!
देते जो दुःख
अहर्निश क्लेश
पास न उनका
बचा है कोई जतन।
आँसू न बहाओ अब
गलाओ न तन।
साँझ -सवेरे
बोते रहे अँधेरे
बेमानी सब उनके
मधुर, कटु, वचन।
'''28/11/2024'''
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