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{{KKRachna
|रचनाकार=नरेन्द्र जैन
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दोस्त ने कमला के बारे में जो कहा
वह कमला के अलावा संसार की हर स्त्री
के बारे में कहा जा सकता था
दोस्त कमला को जानता नहीं था
उसे, हालाँकि खोज थी किसी की
जो कमला हो सकती थी
उसे लगता रहा कि
वह तलबगार है सिर्फ़ कमला का
लेकिन इस दुविधा में था वह
कि उसकी स्त्री का नाम कमला
हो ही नहीं सकता
कहीं एक कमला थी
कमला की तरह ही वह रही आई
हर हाल में सिर्फ़ कमला
उनमें अब होने लगी मेल - मुलाक़ात
दोस्त करने लगा उसकी प्रतीक्षा
बस अड्डे पर
कमरे में
किसी होटल की टूटी मेज़ के क़रीब
एक दिन दोस्त ने
तीन चार बेहतर नाम सुझाए कि
रागिनी, अपूर्वा या संध्या में से
एक तो चुना ही जा सकता है
लेकिन कमला ने कह ही दिया
मैं कमला हूँ
और रहूँगी
हर हाल में सिर्फ़ कमला
</poem>
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|रचनाकार=नरेन्द्र जैन
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
दोस्त ने कमला के बारे में जो कहा
वह कमला के अलावा संसार की हर स्त्री
के बारे में कहा जा सकता था
दोस्त कमला को जानता नहीं था
उसे, हालाँकि खोज थी किसी की
जो कमला हो सकती थी
उसे लगता रहा कि
वह तलबगार है सिर्फ़ कमला का
लेकिन इस दुविधा में था वह
कि उसकी स्त्री का नाम कमला
हो ही नहीं सकता
कहीं एक कमला थी
कमला की तरह ही वह रही आई
हर हाल में सिर्फ़ कमला
उनमें अब होने लगी मेल - मुलाक़ात
दोस्त करने लगा उसकी प्रतीक्षा
बस अड्डे पर
कमरे में
किसी होटल की टूटी मेज़ के क़रीब
एक दिन दोस्त ने
तीन चार बेहतर नाम सुझाए कि
रागिनी, अपूर्वा या संध्या में से
एक तो चुना ही जा सकता है
लेकिन कमला ने कह ही दिया
मैं कमला हूँ
और रहूँगी
हर हाल में सिर्फ़ कमला
</poem>