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Kavita Kosh से
यही ठिकाने के चार दिन थे सो तेरी हां हूं में कट गये हैं
हयात<ref>जिंदगी ही थी सो बच गया हूं वगरना सब खेल हो चुका था
तुम्हारे तीरों ने कब ख़ता की, हमीं निशाने से हट गये हैं