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ये शबे-अख़्तरो-क़मर<ref>चाँद तारों भरी रात </ref> चुप है,एक हंगामा है मगर चुप हैहै।
चल दिए क़ाफ़िले कयामत के,और दिल है कि बेख़बर चुप हैहै।
उनके तेरे गेसू और इस क़दर बरहम,इक तमाशा और इस क़दर चुप हैहै।
पहले कितनी पुकारें आती थीं,चल पड़ा हूँ तो रहगुज़र<ref>रास्ता </ref> चुप हैहै।
बस ज़बाँ हाँ कहे ये ठीक नहीं,क्या हुआ क्यों तिरी नज़र चुप हैहै।
साथ तेरे ज़माना बोलता था,तू नहीं है तो हर बशर<ref>आदमी </ref> चुप हैहै।
बर्क़<ref>बिजली </ref> ख़ामोश, ज़मज़मे<ref>सुरीला गायन </ref> ख़ामोश,शायरी का हरिक हुनर चुप हैहै।
राज़ कुछ तो है इस ख़मोशी का
बात कुछ तो है, तू अगर चुप है
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