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{{KKRachna
|रचनाकार=ऋचा दीपक कर्पे
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कहते हैं
कुछ मांग लेना चाहिए
जब कोई तारा
आसमान से टूट कर गिरता है,
क्यों कहते होंगे ऐसा?
शायद इस विराट ब्रह्माण्ड से
एक तारे का टूटकर गिरना
और ठीक उसी समय
हमारा उसे देखना
असाधारण है
अलौकिक है
और यदि ऐसा है
तो आज मैंने
अपनी खिड़की में बैठे-बैठे
चांदनी के पेड़ से
एक फूल झरते देखा
मुझे उतना ही अलौकिक
और असाधारण लगा वह भी
इसलिए बिना एक पल गवाए
मैंने माँग लिया
कुछ मनचाहा...
</poem>
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|रचनाकार=ऋचा दीपक कर्पे
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
कहते हैं
कुछ मांग लेना चाहिए
जब कोई तारा
आसमान से टूट कर गिरता है,
क्यों कहते होंगे ऐसा?
शायद इस विराट ब्रह्माण्ड से
एक तारे का टूटकर गिरना
और ठीक उसी समय
हमारा उसे देखना
असाधारण है
अलौकिक है
और यदि ऐसा है
तो आज मैंने
अपनी खिड़की में बैठे-बैठे
चांदनी के पेड़ से
एक फूल झरते देखा
मुझे उतना ही अलौकिक
और असाधारण लगा वह भी
इसलिए बिना एक पल गवाए
मैंने माँग लिया
कुछ मनचाहा...
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