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बेस क़ीमत है यहाँ बूँद भी इक पानी की
याद रक्खें इसे, बेवज़ह बेकार बहाने वाले
शम्स ता क़मर, ज़मीं, झील कि दरिया, पर्वतये ज़मीं तारे हों या शम्सो क़मर
हैं मनाज़िर ये सभी दिल को लुभाने वाले
हैं सरे राह दिये रोज़ जलाने वाले
क़िस्सा-ए-जीस्त सुनाए हैं बहुत तुझको 'रक़ीब'उस को सुनाए हैं बहुतअब जो बाक़ी हैं, नहीं तुझको किसी को न सुनाने वाले 
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