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<poem>
प्यार करती हूँ मैं तुम्हें. बस, इतना ही कहती हूँ,
दिन ढलता है, फिर रात भर जगकर सुबह की ओर बढ़ता है,
यह कुछ भी नहीं, लेकिन यह लालसा पैदा हुई है एक स्मृति से
जो अफ़वाह फैलाने वाले से कहीं बड़ी है
पैदा होना — प्रेम करने से थोड़ा अधिक है
और थोड़ा कम ।
प्यार करती हूँ मैं तुम्हें. बस, इतनी सी बात है,
कि प्रार्थना करो, दुआ करो,
एक आवाज़ के लिए चार हाथों से कविता लिखो,
यह कुछ भी नहीं, एक ही पगडण्डी से गुज़रते हैं दो रास्ते
हम बाँटते हैं एक ही आकाश, जो एक ही समय में
एक जैसी कन्दराओं पर छाता है,
जहाँ जीवन ही जीवन गूँजता है, और मृत्यु हार जाती है ।
प्यार करती हूँ मैं तुम्हें, हालाँकि महत्त्वहीन है यह बात,
बढ़ती हुई ख़ामोशी में यह, बस, एक उजली भंगिमा है
यह कुछ भी नहीं, पर मुझ तक पहुँचती है,
यह रवानगी
मुझे मालूम है कि तुम वापस लौट आओगे, पर
इस खेल और जुदाई में ही तुम्हें प्यार करती हूँ मैं
जब तुम दूर होते हो ।
तुम्हें चाहती हूँ मैं, तुम्हारे और अपने शरीर से कहीं दूर
अशुभ ताक़तों के ख़िलाफ़ और नैतिक आचरणों के विरुद्ध
तुमसे प्यार करती हूँ मैं ।
हमारे सितारे हमारे जीवन को झुर्रियों में ढालते हैं और
मैं तुम्हें प्यार करती हूँ, तुम्हारी गैरहाज़िरी में भी
जब तुम तराश रहे होते हो अपना उल्लास और ख़ुशी ।
मैं भारी शाखाओं पर जमे मधुमक्खियों के झुण्ड की तरह
प्यार करती हूँ तुम्हें ।
प्यार करती हूँ मैं तुम्हें. बस, इतना ही कहती हूँ,
सन्ध्या समय हुई बातचीत में शामिल
दुख की एक बून्द की तरह
और सुबह के उस एकान्त में जब तुम वहाँ नहीं थे
मैं तुम्हें प्यार करती हूँ जैसे रखी जाती है श्रद्धा
या उस तूफ़ान की तरह जो हमें आपस में जोड़ता है ।
तुम्हें प्यार करती हूँ मैं, बस, इतना ही कहती हूँ,
वर्षों तक गुज़रे जीवन-चक्र से उभरी छवि में ।
मैं तुम्हें प्यार करती हूँ और लाखों चेहरे ढल जाते हैं
बचता है, बस, एक मेरा ही चेहरा ।
मूल फ़्रांसीसी से अनुवाद : अनिल जनविजय