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पाँव वो ज़मीं पर अब इसलिए नहीं रखते
जो कहा सुना मैंने प्यार करते हो, मुझे ज़िन्दगी भी कहते होमुझसे
फिर मेरी सितारों से माँग क्यों नहीं भरते
मैं हबीब समझा था तुम 'रक़ीब' हो शायद
इसलिए मोहब्बत का दम कभी नहीं भरते
 
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