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तू जो मुझसे प्यार करता, तू जो मेरा यार होता
मेरी आशिक़ी का चर्चा, भी न यहां बेशुमार होता मिरे दिल के शहर पर जो तिरी होती बस हुकूमतमिरे दिल पे मरते दम तक तिरा इक़्तिदार होता
मुझे जो न होती चाहत कोई करता क्यों हुकूमतहंसी उड़ाता मिरे इश्क़ की जहां मेंमेरे दिल पे दरमिरा दामने-मुहब्बत, जो न तार-हक़ीक़त तेरा इक़तिदार तार होता
मेरे शहर वाले, मेरी भला क्यों हँसी उड़ातेजो फ़िदा वतन पे होता तो सदा अमर ही रहतामेरा दामनेदिलो-मुहब्बतजाँ से तुझपे सारा, जो न तार-तार ये जहाँ निसार होता
जो किए थे तुमने वादेनहीं कुछ गिला कि तू ने, वो सभी जो तुम निभातेमुझे ठोकरों पे रक्खादिलो-जाँ से तुमपे सारा, ये जहाँ निसार मगर आरज़ू यही है कि गले का हार होता
तेरा शुक्रिया के तू नेतिरे बाद सारी दुनिया, मुझे ठोकरों पे रक्खातुझे याद करके रोतीमेरी आरज़ू थी तेरेजो 'रक़ीब' तू न होता, मैं गले का हार जो वफ़ा-शि'आर होता
तेरे बाद सारी दुनिया, तुझे याद करके रोती
जो 'रक़ीब' तू न होता, जो वफा-शियार होता
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