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दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है
ये बताकर मेरी ख़ता क्या है
 
सर निगूँ है बता हुआ क्या है
किसने दी है सज़ा, ख़ता क्या है
है ज़रूरी बहुत समझ लेना
प्यार करता हूँ मैं नहीं मालूम
नारवा क्या इसमें बेजा है और रवा क्या, बजा क्या है
है अमानत ये ज़िन्दगी उस कीउसकीये बताओ की बताएँ कि आपका क्या है
उसने शरमा के कान में मेरे
कुछ कहा है , मगर कहा क्या है
दिल किसी का कभी नहीं रखता
इक मुसीबत है, आईना क्या है
एक मंज़िल हो जिनकी, इक मक़सदहै अपना इक मंज़िल
साथ चलने में फिर बुरा क्या है
जब तसव्वर गर तसव्वुर में हुस्न हो न 'रक़ीब'शेर गोई में इस फिर मज़ा क्या है 
</poem>
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