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बेवफ़ा को भी जहाँ में बा-वफ़ा मिल जाएगा
मेरी बाहों में मुहब्बत का सिला मिल जाएगा
बन्द हैं सब खिड़कियाँ और बन्द हैं सारे किवाड़
थक के वो बैठा ही था, फिर चल पड़ा ये सोचकर
दर कहीं कोई न कोई कहीं तो दर खुला मिल जाएगा शेख़, हम होंगे जुदा वादा बिरहमन यार काजब मुझे भगवान या तुझको ख़ुदा मिल जाएगा
कम नहीं होंगे सितम, बेहतर है साथी ढूंढ ले
है तो मुश्किल, कोशिशों से तू बना मुमकिन 'रक़ीब'
सर छिपाने को कहीं भी घोंसला मिल जाएगा
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