भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
 
आँचल जब भी लहराते हो
जादू दिल पर कर जाते हो
क्यों ऐसी बात सुनाते हो
तुम दिल में लगाकर आग मेरेमिरे
क्यों और इसे भड़काते हो
छू जाए कोई डर जाते हो
तुम साफ़ कहो जो कहना है वो साफ़ कहो
क्यों कहते हुए रुक जाते हो
बच्चे हैं 'रक़ीब' तो खेलेंगे
बेकार उन्हें समझाते हो
 
</poem>
493
edits