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गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें शरमा के ख़ुद से ख़ुद ही यारो झुकेंगी आँखें महबूब मेरे मुझको तस्वीर अपनी दे जा
तन्हाइयों में उससे बातें करेंगी आँखें
हर राह ज़िन्दगी की रोशन करेंगी आँखें
हाथों में मेरे मेहँदी कब तक नहीं लगेगी तन्हाइयों के खूँ ख़ूँ से कब तक रचेंगी आँखें
सुख-दुःख हैं इसके पहलू ये ज़िन्दगी है सिक्का
हालात ज़िन्दगी के ख़ुद ही कहेंगी आँखें तू भी 'रक़ीब' सो जा होने को है सवेरा
वरना हथेली दिन भर मलती रहेंगी आँखें
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