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हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है
गुमान होता है सारे चमन की ख़ुशबू है
मिरे वजूद को मख्मूर कर दिया इसने हवा के दोश पे किस गुल-बदन की ख़ुश्बू हैबड़ी अनोखी तिरे पैरहन गुमान होता है सारे चमन की ख़ुशबू ख़ुश्बू है
करीब तेरा वज़ूद है मौसम बहार का जैसेअदा में तेरी, तेरे बांकपन की ख़ुश्बू है क़रीब पा के तुझे झूमता है मन मेराजो तेरे तन की है वो मेरे मन की ख़ुशबू ख़ुश्बू है मिरे वजूद को मख़्मूर कर दिया इसनेबड़ी अनोखी तिरे पैरहन की ख़ुश्बू है
बला की शोख़ है सूरज की एक-एक किरन
पयामे ज़िंदगी हर इक किरन की ख़ुशबू ख़ुश्बू है
गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से मिरे मिज़ाज में उस अंजुमन की ख़ुशबू ख़ुश्बू है
ये बात पूछे तो मेहनतकशों मेहनत कशों जा के कोईकि रात चीज़ है क्या, क्या थकन कि ख़ुशबू ख़ुश्बू है मिलेगी मंज़िले- मक़सूद एक दिन मुझकोकि मेरे अज़्मो-अमल में लगन कि ख़ुश्बू है
मिलेगी मंज़िले- मक़सूद एक दिन मुझको
कि मेरे अज़्मो-अमल में लगन कि ख़ुशबू है
बहुत संभाल के रखा है इनको मैंने 'रक़ीब'
एक एक लफ़्ज़ में ख़त के वतन की ख़ुशबू ख़ुश्बू है 
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