भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गायत्रीबाला पंडा |अनुवादक=राजेन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गायत्रीबाला पंडा
|अनुवादक=राजेन्द्र प्रसाद मिश्र
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक किताब-सी
वह खुलती है, बन्द होती है
पुरुष की इच्छा से ।

एक किताब की तरह
उसके हर पन्ने पर
नज़र डालता है पुरुष
और जहाँ मन करता है वहाँ ठहरकर
बड़े ध्यान से पढ़ता है।

छक जाने और थक जाने पर
उसे दरकिनार कर देता है एक कोने में
और खर्राटे भरने लगता है

तृप्ति से ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,965
edits