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<poem>
जो तुझे भूल गए तू भी उन्हें याद न कर
ऐसे लोगों पे कभी वक़्त भी बरबाद न कर
इतनी बंदिश न लगा खुल के वो रो भी न सके
ठीक है पिंजरे से पंछी को तू आज़ाद न कर
 
दिल पे हर बात जो लेगा तो जियेगा कैसे
बदले मौसम से तबीयत को यूँ नाशाद न कर
 
लौट कर फिर वो दुबारा न कभी आयेगा
जो समय बीत गया, बीत गया याद न कर
 
इतनी सी बात मेरी मान ले तो अच्छा है
क्षुद्र लोगों से कभी कोई भी फ़रियाद न कर
 
आज तू कुछ भी मुझे कह ले, गुज़ारिश लेकिन
मेरे बारे में कोई बात मेरे बाद न कर
</poem>
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