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{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक अंजुम
|अनुवादक=
|संग्रह=अशोक अंजुम की हास्य व्यंग्य ग़ज़लें / अशोक अंजुम
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
किच-किच कचर-कचर से भागा
घर का मालिक घर से भागा
मुंडा हुआ सर लेकर सरपट
मजनूं प्रेमनगर से भागा
पहलवान था 'उसका' भाई
भूत इश्क़ का सर से भागा
बीवी भी थी दफ्न बगल में
मुर्दा निकल क़बर से भागा
हर दरवाज़े पर ताला था
नटवरलाल किधर से भागा?
चोर-उचक्के थे कुछ ऐसे
थानेदार शहर से भागा
आलस-वालस छोड़-छाड़ वो
साहब की ठोकर से भागा
चौराहे पर जिन्न मिल गया
जो डायन के डर से भागा
उधर-उधर ही जाल बिछे थे
'अंजुम' जिधर-जिधर से भागा
</poem>
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किच-किच कचर-कचर से भागा
घर का मालिक घर से भागा
मुंडा हुआ सर लेकर सरपट
मजनूं प्रेमनगर से भागा
पहलवान था 'उसका' भाई
भूत इश्क़ का सर से भागा
बीवी भी थी दफ्न बगल में
मुर्दा निकल क़बर से भागा
हर दरवाज़े पर ताला था
नटवरलाल किधर से भागा?
चोर-उचक्के थे कुछ ऐसे
थानेदार शहर से भागा
आलस-वालस छोड़-छाड़ वो
साहब की ठोकर से भागा
चौराहे पर जिन्न मिल गया
जो डायन के डर से भागा
उधर-उधर ही जाल बिछे थे
'अंजुम' जिधर-जिधर से भागा
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