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{{KKRachna
|रचनाकार=अदनान कफ़ील दरवेश
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ऐसा नहीं है कि हमें ज़िन्दगी अज़ीज़ नहीं
ऐसा नहीं है कि हम कायर हैं
ऐसा नहीं है कि हमें फूल बुरे लगते हैं
ऐसा नहीं है कि हम कामचोर हैं
ऐसा नहीं है कि हमें आलूबुख़ारा बहुत पसन्द है
ऐसा नहीं है कि हम रोटी में चावल भरने के आदी हैं
ऐसा नहीं है कि आप हमारे दोस्त नहीं रहे
बात बस इतनी है कि
छत्तीस का पहाड़ा, छत्तीस का पहाड़ा है
और हमें अब किसी चीज से कोई उम्मीद नहीं रही ।
</poem>
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ऐसा नहीं है कि हमें ज़िन्दगी अज़ीज़ नहीं
ऐसा नहीं है कि हम कायर हैं
ऐसा नहीं है कि हमें फूल बुरे लगते हैं
ऐसा नहीं है कि हम कामचोर हैं
ऐसा नहीं है कि हमें आलूबुख़ारा बहुत पसन्द है
ऐसा नहीं है कि हम रोटी में चावल भरने के आदी हैं
ऐसा नहीं है कि आप हमारे दोस्त नहीं रहे
बात बस इतनी है कि
छत्तीस का पहाड़ा, छत्तीस का पहाड़ा है
और हमें अब किसी चीज से कोई उम्मीद नहीं रही ।
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