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हसीन दिलरुबा हाइवे पर खड़ी थी
सिर्फ़ बारिश की बूँदें उसकी देह को नहीं छू रही थीं
हाइवे से गुजरती निगाहें और दूर ढाबे पर बल्ब की रोशनी के बीच कढ़ाई माँजता एक उदास शख्सशख़्स
बार-बार हाइवे पर खड़ी हसीन दिलरुबा को
छूने की चुपचाप कोशिश कर रहा था
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