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अश्रु चुनता दिवस इसका; अश्रु गिनती रात;
जीवन विरह का जलजात!
आँसुओं का कोष उर, दृग अश्रु की टकसाल,
तरल जल-कण से बने घन-सा क्षणिक मृदुगात;
जीवन विरह का जलजात!
अश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमास,
अश्रु ही की हाट बन आती करुण बरसात;
जीवन विरह का जलजात!
काल इसको दे गया पल-आँसुओं का हार