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मौत इनसाफ़ किया करती है / नाज़िम हिक़मत / चन्द्रबली सिंह
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,
28 मार्च
स्वागत तुम्हारा है, दोस्तो !
आहो
ओह
, याकूब राकी गाँव वाले,
तुम मेरी आँखों के तारे रहे,
क्या तुम भी मरे नहीं ?
अनिल जनविजय
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