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फिर भी किसी को याद आउं तो / कुमार सौरभ
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4 अप्रैल
कृतज्ञता का बोझ बन टंगा न रहूँ
किसी को याद आ
जाउं
जाऊं
फिर भी तो इस तरह तो
आउं
आऊं
कि किसी के दुखते हुए सिर पर कभी हाथ रखा था
कि किसी के साथ घंटों तब बिताए थे
Kumar saurabh
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