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{{KKRachna
|रचनाकार=महमूद दरवेश
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
इस पृथ्वी पर हमारे पास वह है
जो बनाता है जीवन को जीने योग्य :
अप्रैल की हिचकिचाहट, रोटी की महक
भोर में, एक स्त्री का दृष्टिकोण एक पुरुष के बारे में,
एशाइलस के नाटक, शुरुआत
प्रेम की, पत्थर पर उगी घास, बाँसुरी की आह और
आक्रान्ताओं के डर की स्मृतियों में जीती माँएं ।
इस पृथ्वी पर हमारे पास वह है
जो बनाता है जीवन को जीने योग्य :
सितम्बर के आख़िरी दिन, एक महिला
रसीला बनाए रखती हुई अपनी खुबानियों को चालीस के बाद,
बन्दीगृह में धूप का एक घण्टा, एक बादल प्रतिबिम्बित करता
प्राणियों के झुण्ड को,
उनके लिए लोगों का ताली बजाना
जो सामना करते हैं मृत्यु का मुस्कराहट के साथ,
गीतों के प्रति एक तानाशाह का भय ।
इस पृथ्वी पर हमारे पास वह है
जो बनाता है जीवन को जीने योग्य :
इस पृथ्वी पर, महान धरती
माँ समस्त आदि और अन्त की ।
उसे कहते थे फिलिस्तीन । उसका नाम बाद में हो गया
फिलिस्तीन ।
मेरी प्रिय, क्योंकि तुम हो मेरी प्रिय, मैं योग्य हूँ जीवन के ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
</poem>
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|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
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इस पृथ्वी पर हमारे पास वह है
जो बनाता है जीवन को जीने योग्य :
अप्रैल की हिचकिचाहट, रोटी की महक
भोर में, एक स्त्री का दृष्टिकोण एक पुरुष के बारे में,
एशाइलस के नाटक, शुरुआत
प्रेम की, पत्थर पर उगी घास, बाँसुरी की आह और
आक्रान्ताओं के डर की स्मृतियों में जीती माँएं ।
इस पृथ्वी पर हमारे पास वह है
जो बनाता है जीवन को जीने योग्य :
सितम्बर के आख़िरी दिन, एक महिला
रसीला बनाए रखती हुई अपनी खुबानियों को चालीस के बाद,
बन्दीगृह में धूप का एक घण्टा, एक बादल प्रतिबिम्बित करता
प्राणियों के झुण्ड को,
उनके लिए लोगों का ताली बजाना
जो सामना करते हैं मृत्यु का मुस्कराहट के साथ,
गीतों के प्रति एक तानाशाह का भय ।
इस पृथ्वी पर हमारे पास वह है
जो बनाता है जीवन को जीने योग्य :
इस पृथ्वी पर, महान धरती
माँ समस्त आदि और अन्त की ।
उसे कहते थे फिलिस्तीन । उसका नाम बाद में हो गया
फिलिस्तीन ।
मेरी प्रिय, क्योंकि तुम हो मेरी प्रिय, मैं योग्य हूँ जीवन के ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
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