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Kavita Kosh से
<Poem>
जिनकी बाद कोई
आगे फिर कभी
और फिर भी जीते रहना
लगभग पहले सा
जिन पर कोई
जान दे बैठे
कुछ भी नहीं सिवाय जीने और मरने के
कुछ भी नहीं सिवाय लफ़्जों लफ़्ज़ों के
कुछ भी नहीं सिवाय लिखते रहने के
कुछ भी नहीं सिवाय बढ़ते रहने के?
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य