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भीड़ गुनाहों से बाहर निकल कर आइएपर्दा कभी तो उठेगाइस समंदर में न ग़ुम हो जाइएकहाँ तक कोई भाग करके बचेगा
फ़ायदा इकला ही चलने में मिलेकहाँ तक करेगा ज़बाँ बंद मेरीमेले में आये कटेगा गला तो धक्के खाइएलहू बोल देगा
आप अपनी बात पर क़ायम रहेंयहाँ की अदालत बिकाऊ है लेकिनआप अपने ही सुरों में गाइएवहाँ की अदालत से कैसे बचेगा
जिसको जो कहना है वो कहता रहेआप बिल्कुल नज़र भी नहीं घबराइएगुनाहों की देती गवाहीसबूतों को तू नष्ट कितना करेगा
क्या पुरानी लीक हमारी ग़रीबी के दम पर चलते रहेंटिका हैरास्ता कोई नया दिखलाइएतेरा ये किला , दो मिनट में ढहेगा
झुंड हमारे ही बच्चे तेरी फ़ौज में भेडे़ं हैं मरती दोस्तोइससे अच्छा है कि मगहर जाइएहुई गर बग़ावत तो कैसे बचेगा
जो रचें, जैसा रचें, मौलिक रचेंदूसरों सुना है कि रावन को भी यही बतलाइएये बहम थासमंदर पे कोई चढ़ाई करेगा?
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