<poem>
झागदार घना बादल है मेरे सिर पर,
मेरे चारों ओर बाहर और मेरे भीतर है समुद्र,मैं गुलहेन पार्क में खड़ा अखरोट का एक पुराने फैले हुए अखरोट के पेड़ की तरहहूँपूरी तरह से असंख्य पत्तियों और शाखाओं से बुना हुआ हूँ मैं ।
लेकिन न तुम और न ही पुलिसवाले इस बात पर कोई ध्यान देते हैं ।
मेरे पत्ते मेरी आँखें हैं,
हज़ारों हाथों से मैं तुम्हें और अपने प्यारे इस्ताम्बूल को छूता हूँ ।
अपनी हज़ारों आँखों से मैं तुम्हें और अपने प्यारे इस्ताम्बूल को देखता हूँ ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''