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Kavita Kosh से
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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
कुछ पूछो मत
अब मुझ से
तुम जानती हो
कि प्यार का कोई
सबब नहीं होता
अब कुछ भी
मैं स्वीकारूँ क्यों भला
जब तुम
पहले ही तय कर चुकी हो
भविष्य मेरा
लाओ,अपना हाथ दो मुझे
और बतलाओ
प्रेम क्या है ?
नृत्य करता सर्प !
उसकी व्यापकता का रहस्य क्या है
इस नृत्य करते
बेचैन
सर्प को रोकने का
साहस नहीं है मुझ में
इसीलिए घूर-घूर कर देखता हूँ मैं
लड़कियों के सुर्ख़ गालों की चमक
(रचनाकाल : 7 अगस्त, 1911)
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Осип Мандельштам
Не спрашивай, ты знаешь