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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
आज तेरे साथ मैं
वहाँ श्वेताभ केरोसिन की
गोल बड़ी रोटी पर
रखी होती है छुरी
मन होने पर सिगड़ी में
आँच बढ़ा लेते हैं पूरी
कभी जब करता है मन
वहाँ बैठे हम रात-रात भर
टोकरी-थैले बुनते हैं
ले सुतली हाथ-हाथ भर
या ऐसा करते हैं आज
वहाँ स्टेशन पर चलते हैं
वहाँ नहीं आएगा कोई हमें ढूँढ़ने
हम भला किसी के क्या लगते हैं ?
А не то веревок собери
Завязать корзину до зари,