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Kavita Kosh से
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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
यदि मुझे पकड़ लेंगे हमारे वे जानी दुश्मन
यदि मुझ से छीन लेंगे वे दुनिया के सारे सुख
और साँस सांस भी न लेने देंगे, बन्द कर देंगे मुख
यदि मैं न कह पाऊँगा कि जीवन की होगी जीत
तब रचूँगा मैं वह सब, जो उस वक़्त रच पाऊँगा
शत्रु के गले का फन्दा बन करबनकर, जन को जगाऊँगा
मेरी आवाज़ में होगा तब भी दस बैलों का ज़ोर
बचा सड़न से इस दुनिया को, फिर से नई बनाऊँगा