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घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो,
आज द्वार - द्वार पर यह दिया बुझे नहीं।यह निशीथ का दिया , ला रहा विहान है ।
शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ,
भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रतादियास्वतंत्रता-दिया,
रुक रही न नाव हो, जोर का बहाव हो,
आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं!
यह अतीत कल्पना, यह विनीत प्रार्थना,
यह पुनीत भवनाभावना, यह अनंत साधना,
शांति हो, अशांति हो, युद्ध, संधि, क्रांति हो,
तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं!
देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है!
तीन - चार फूल है हैं, आस पास आसपास धूल है,बाँस है, फूल बबूल है, घास के दुकूल हैहैं,
वायु भी हिलोर से, फूँक दे, झकोर दे,
कब्र पर, मजार पर, यह दिया बुझे नहीं!
यह किसी शहीद का पुण्य प्राणदान है!
झूम झूम बदलियाँ, चुम चुम चूम- चूम बिजलियाँआँधियाँ उठा रहीरहीं, हलचले हलचलें मचा रहीरहीं!
लड़ रहा स्वदेश हो, शांति का न लेश हो
क्षुद्र जीत जीत।-हार पर, यह दिया बुझे नहीं!
यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है!
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