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पहचाने गये मेंडल
और प्रतीक्षा में हूँ
कि बच्चे बाज़ार ों बाज़ारों में ढूँढते मिलेंगे बड़हड़ ।
ठीक वैसे ही जैसे कि मैं
चूल्हाछुआई के दिन
गांव गाँव की लड़कियाँ ढूँढती हैं
माँ की डायरी के भजन ।
तो महसूस हुआ मैं भी हूँ एक प्रतीक्षा
और आम की हँसी के बीच
मुस्कुराता हुआ बड़हड़ ।बड़हड़।
मुझे याद आये मेंडल
हाँ वही "Father of genetics"
लगा रही हूँ आज बड़हड़ का पेड़
आम के बगीचे के बीचोबीच ।बीचोबीच।
याद आ रहे हैं वह सारे लड़के
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