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{{KKRachna
|रचनाकार= हरकीरत हीर
|संग्रह=
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
वो इक लम्हा
साथ रहा जो मेरे
इश्क़ था तेरा।
2.
जिन होंठों पे
मेरा नाम था बस
अब ख़ामोश।
3.
छू गया कुछ
जैसे ख़्वाब- सा कोई
साँस दे गया।
4.
भीगी आँखों से
तेरा नाम पुकारा
ख़ामोशी बोली।
5.
तेरी आँखों में
डूबी रही चाँदनी
रात भी रोई।
6.
ख़त जो लिखा
लफ़्ज़ भी मुस्कुराए
तेरे नाम से ।
7
तेरे बिना ज्यों
मौसम भी फ़ीका है
फूल भी चुप ।
8
वो मुलाक़ात
सदियों- सी लगी थी
जाने के बाद।
9
बूँदें बरसीं
तेरी यादों में जैसे
भीगती रही।
10
छुपके देखा
उसने इक दफा
इश्क़ हो गया।
11.
तेरे नाम से
होंठ काँपे; मगर
कह न सके।
12
दिल वीरान
तेरी यादें बोती हैं
बंजर शब्द।
13
ख़ामोश झील
बहा ले गई ख़्वाब
मैं थी किनारे ।
14.
तू पास नहीं
हर धड़कन में
थी इक दूरी।
15
इक चुप- सी
तेरी पलकों तले
सौ बातें बोलें।
16
इक ख़ामोशी
दिल की दीवारों में
गूँजती रही।
17
वही मौसम
तेरी ख़ुशबू लाया
बात पुरानी।
18
चाँद भी सुने
मिलन की दुआएँ
रात भी ठहरी ।
19
भीगी रेत पे
जो नाम था लिखा
बहा ले गया।
20
हाथ छू गया
कुछ हुआ तो नहीं
कुछ हो गया।
21.
धूप में किया
इक तूने वादा जो
छाँव दे गया।
-0-
</poem>
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|रचनाकार= हरकीरत हीर
|संग्रह=
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
वो इक लम्हा
साथ रहा जो मेरे
इश्क़ था तेरा।
2.
जिन होंठों पे
मेरा नाम था बस
अब ख़ामोश।
3.
छू गया कुछ
जैसे ख़्वाब- सा कोई
साँस दे गया।
4.
भीगी आँखों से
तेरा नाम पुकारा
ख़ामोशी बोली।
5.
तेरी आँखों में
डूबी रही चाँदनी
रात भी रोई।
6.
ख़त जो लिखा
लफ़्ज़ भी मुस्कुराए
तेरे नाम से ।
7
तेरे बिना ज्यों
मौसम भी फ़ीका है
फूल भी चुप ।
8
वो मुलाक़ात
सदियों- सी लगी थी
जाने के बाद।
9
बूँदें बरसीं
तेरी यादों में जैसे
भीगती रही।
10
छुपके देखा
उसने इक दफा
इश्क़ हो गया।
11.
तेरे नाम से
होंठ काँपे; मगर
कह न सके।
12
दिल वीरान
तेरी यादें बोती हैं
बंजर शब्द।
13
ख़ामोश झील
बहा ले गई ख़्वाब
मैं थी किनारे ।
14.
तू पास नहीं
हर धड़कन में
थी इक दूरी।
15
इक चुप- सी
तेरी पलकों तले
सौ बातें बोलें।
16
इक ख़ामोशी
दिल की दीवारों में
गूँजती रही।
17
वही मौसम
तेरी ख़ुशबू लाया
बात पुरानी।
18
चाँद भी सुने
मिलन की दुआएँ
रात भी ठहरी ।
19
भीगी रेत पे
जो नाम था लिखा
बहा ले गया।
20
हाथ छू गया
कुछ हुआ तो नहीं
कुछ हो गया।
21.
धूप में किया
इक तूने वादा जो
छाँव दे गया।
-0-
</poem>