भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एलैन कान |अनुवादक=देवेश पथ सारिया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एलैन कान
|अनुवादक=देवेश पथ सारिया
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सभी मासूम एक जैसे कपड़े पहनते हैं
उनके मुँह खुलते हैं
उनके मुँह बंद होते हैं
वे लाल पड़ते हैं और उनका ख़ून बहता है
और वे चकित होते हैं कि वे हैं कहाँ

प्रस्थान से हिचकते
और उसके लिए ख़ुद को तैयार न पाते
पर जब उनके पास आता वह
पेनिसिलीन की तरह
चले जाते ख़ुशी से

क्या तुम नोच रहे हो ख़ुद को?
मैं क्या चाहती हूँ
और कैसे चाहती हूँ
यह वे मुझे बताते हैं
वे सही थे
खाल कपड़ों की तरह है एकदम
सारी हिंसा
किसी बचाव में की जाती है

अब मैं यह करती हूँ
अपनी पीठ के बल लेटकर उम्मीद
उम्मीद करती हूँ सब अच्छी, अच्छी चीज़ों की

क्यों नहीं
कपड़ा फ़ैल जाए रंग के बादल की तरह
एक झीने चौकोर कपड़े में हो कराहट

मैं नहीं जानती
और इसलिए लिखती हूँ इसके बारे में

मैं जीवन की क़द्र करती हूँ
और उनकी जो कभी कुछ नहीं कहते

हम ईश्वर की देखरेख में हैं
जो इस क़ाबिल नहीं है

कुछ लोग हैं जो बचाएँगे हमें
अच्छा होने की संभावना से।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया
</poem>
818
edits