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<poem>
जब से माझी ने दुश्मनी कर ली
हम ने नावों से दोस्ती कर ली

भूख ख़्वाबों पे पड़ गई भारी
घर से भागे तो नौकरी कर ली

देख कर उस की आँख में पानी
एक दरिया ने ख़ुदकुशी कर ली

बात रख कर के सामने सब के
बात अपनी ही फिर बुरी कर ली

अब न उठ सकते हम सुबह जल्दी
उसने ख़्वाबों में वापसी कर ली
</poem>
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