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|रचनाकार=निकानोर पार्रा
|अनुवादक=देवेश पथ सारिया
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<Poem>
मृत्यु से पहले
इस अंतिम इच्छा का अधिकारी तो हूं मैं-
मेरे कृपालु पाठक
इस किताब को जला देना
यह वह सब कुछ नहीं जो मैं कहना चाहता था
हालांकि इसे लिखा गया था ख़ून से
तब भी यह मेरा सटीक मंतव्य नहीं

मुझे ही अफ़सोस है सबसे ज़्यादा
हार गया हूं मैं अपनी परछाई से
मेरे ही शब्दों ने प्रतिशोध लिया मुझसे
मुझे माफ करना पाठक, मेरे अच्छे पाठक
मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता
एक गर्माहट भरे आलिंगन के साथ
मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं
जबरन लाई गई उदास मुस्कुराहट के साथ
शायद यही है मेरा वास्तव

सुनो मेरे अंतिम शब्द-
जो कुछ मैंने कहा, मैं सब वापस लेता हूं
दुनिया भर की तमाम कड़वाहट के साथ
मैं वापस लेता हूं सब कुछ जो मैंने कहा

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया'''
</poem>
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