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ज़ायनवाद / नासिरा शर्मा

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जिस समंदर पर बनाया था रास्ता कभी मूसा ने
जिस पर चलकर पहुँचे थे फिलिस्तीन, ज़ंजीरों से आज़ाद यहूदी
उसी पानी की लहरों पर तैर रही हैं हज़ारों बोतलें खाद्य सामग्री से भरी अरीज़े की तरह
ग़ाज़ा के उस पार से, जार्डन और मिस्र से भेजी गई हैं जो भूख से तड़पते लोगों के लिए
बनती बिगड़ती लहरें क्या पहुँच पायेंगी उन तक
जैसे पहुँचाया था कभी डाली में रखे नौनिहाल को
या फिर वह भी बेध दी जायेंगी गोलियों की बौछार से
या फिर समेट ली जायेंगी किसी नई तकनीक से
अब मुक़ाबला है हज़रते ख़िज़्र से नेयतनयाहू का ।
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