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मिख़अईल षिरबकोफ़ (एक)

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|मृत्यु=03 जनवरी 1956
|कृतियाँ=रंगीन शीशों वाली खिड़कियाँ (1923), महासागर (1923), जीवन की जड़ें (1943), एक दिन की छुट्टी (1944)
|विविध=मिख़अईल षिरबकोफ़ रूसी कवि, लेखक, अनुवादक, फ़ोटोग्राफ़र, पत्रकार थे। इसके अलावा वे भौतिक वैज्ञानिक, वायुसेना के पायलट, ’कृषक समाचारपत्र’ के सम्पादक, फ़ोटोग्राफ़ी के शिक्षक आदि विभिन्न पेशों से जुड़े रहे। लम्बे समय तक चीन में रहे, फिर वियतनाम और इण्डोचाईना के विभिन्न देशों में ख़ूब घूमे-फिरे। फिर रूसी सफ़ेद गारद के अधिकार वाले व्लदीवस्तोक शहर में रहे। पिछली सदी के दूसरे दशक में ही फ़्रांस के नागरिक बन गए थे। इसलिए जब पागल हो गए तो फ़्रांस के एक पाग़लख़ाने में इलाज के लिए भरती करा दिए गए। वहाँ से 1955 में बाहर आने के बाद फ़्रांस में ही बस गए। बाद में गहरे अवसाद में रहने लगे। 03 जनवरी 1956 को मिख़अईल षिरबकोफ़ के एक मित्र ल्येफ़ ज़ानदिर उनका हाल-चाल लेने और उनसे मिलने आए। लौटते हुए उन्होंने षिरबकोफ़ से कहा — नमस्ते। इसके उत्तर में षिरबकोफ़ ने कहा — नहीं, विदा। उसी दिन शाम को उन्होंने पाँचवी मंज़िल पर बने अपने कमरे की खिड़की से कूदकर आत्महत्या कर ली।
|जीवनी=[[मिख़अईल षिरबकोफ़ / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Mikhaiil Shcherbakov
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