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Kavita Kosh से
::हिम की भट्टी में जलना ज़रूरी लगा।
मोमबत्ती से उजियार की चाह में,
मोम बन कर पिघ्हलना पिघलना ज़रूरी लगा।::उनके पैरों से चलकर न मंज़िल इलीमिली,::अपने पँवों पाँवों पे चलना ज़रूरी लगा।
आदमीयत की रक्षा के परिप्रेक्ष्य में
विश्व-युद्धों का टलना ज़रूरी लगा।
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