भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक |संग्रह=गुफ़्तगू अवाम से है /...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक
|संग्रह=गुफ़्तगू अवाम से है / ज्ञान प्रकाश विवेक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
सुर्ख़रू हो कर अदब के साथ मर जाएँगे लोग
बे-मेहर के सामने क्यूँ हाथ फैलाएँगे लोग
ये शहर भी बे मुरव्वत है मगर इतना नहीं
आपकी इमदाद में दो-चार तो आएँगे लोग
पोस्टर सारे पुराने हो गए माहौल के
जाने कब बदली हुई आबो-हवा लाएँगे लोग
इस शहर की ज़हनियत का क्या करूँ मैं दोस्तो
तुम अगर सेहरा पढ़ोगे मर्सिया गाएँगे लोग
ले गया बचपन उटहा कर भीग जाने का हुनर
आएगी बरसात तो सब छतरियाँ लाएँगे लोग
जब चराग़ों की तरह जलने की सीखेंगे कला
ज़िन्दगी का अर्थ क्या है, ख़ुद समझ जाएँगे लोग.
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक
|संग्रह=गुफ़्तगू अवाम से है / ज्ञान प्रकाश विवेक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
सुर्ख़रू हो कर अदब के साथ मर जाएँगे लोग
बे-मेहर के सामने क्यूँ हाथ फैलाएँगे लोग
ये शहर भी बे मुरव्वत है मगर इतना नहीं
आपकी इमदाद में दो-चार तो आएँगे लोग
पोस्टर सारे पुराने हो गए माहौल के
जाने कब बदली हुई आबो-हवा लाएँगे लोग
इस शहर की ज़हनियत का क्या करूँ मैं दोस्तो
तुम अगर सेहरा पढ़ोगे मर्सिया गाएँगे लोग
ले गया बचपन उटहा कर भीग जाने का हुनर
आएगी बरसात तो सब छतरियाँ लाएँगे लोग
जब चराग़ों की तरह जलने की सीखेंगे कला
ज़िन्दगी का अर्थ क्या है, ख़ुद समझ जाएँगे लोग.
</poem>
Anonymous user