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|रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक
|संग्रह=गुफ़्तगू अवाम से है / ज्ञान प्रकाश विवेक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
भाई से भाई रूठा है
घर कितना सूना लगता है

एक पुराने वक़्त का चेहरा
मेरी एलबम में रक्खा है

उसने पूछा आँख का आँसू
मैंने कहा कि सरमाया है

आज हवा सरशार हुई है
आज चराग़ों का जलसा है

कंगालों की इस बस्ती में
फेरी वाला कब आया है?

बकरे को मालूम है उसका
इन्सानों से क्या रिश्ता है

अब मैं इस माया को समझा
सुख के अन्दर दुख रहता है

रिश्ते छिन लिए टी.वी. ने,
मैं तन्हा, तू भी तन्हा है.
</poem>