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छायाचित्र / तादेयुश रोज़ेविच

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<Poem>
आज मुझे मिला
किसी दूसरे देश से भेजा गया
एक पुराना कार्ड :
इरबालुंगा का एक चित्र

कभी नहीं सुना मैं इसका नाम
नहीं जानता कहाँ रहता है यह आदमी
जानना भी नहीं चाहता

कौन है इरबालुंगा

कल मुझे मिला
माँ का एक छायाचित्र
सहेजा हुआ उन्नीस सौ चवालीस का

छायाचित्र में
माँ अभी युवा है और ख़ूबसूरत
मंद-मंद मुस्काती

लेकिन उसके पीछे
मैंने पढ़े
माँ के हाथ के
लिखे शब्द
"भयानक है मेरे लिए उन्नीस सौ चवालीस"

उन्नीस सौ चवालीस में
गेस्टापो ने मेरे बडे भाई का
क़त्लकिया था

हमने छिपाए रखी
माँ से
भाई की मौत

लेकिन उसने
हमारे ही ज़रिए उसे जाना
और
छिपाए रखा
हमसे

(1979)

'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल
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