भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तादेयुश रोज़ेविच |संग्रह= }} <Poem> मैं एक आरामकुर्स...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तादेयुश रोज़ेविच
|संग्रह=
}}

<Poem>
मैं एक आरामकुर्सी में बैठा हुआ था
मैंने पढ़ना बंद कर दिया
अचानक मैंने सुना
अपने दिल को धड़कते हुए
यह इतना अप्रत्याशित था
जैसे कोई अजनबी मेरे भीतर घुस गया हो
और कसी हुई मुट्ठी से मुक्के मार रहा हो
कोई अपरिचित जीव बंद हो गया मेरे भीतर
उसकी चोटों में कुछ ऎसा अशोभनीय था
जिसकाकोई रिश्ता नहींथा
मुझ से
मेरे निगूढ़ बुद्धि व्यापार से।

(1979)

'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल
</poem>
Anonymous user