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शायर: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली]]|संग्रह=}}
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[[Category:निदा फ़ाज़ली]]<Poem>
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुईजिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई
कुछ तबीयत जिससे जब तक मिले दिल ही मिली थी ऐसी चैन से जीने मिले दिल जो बदला तो फसाना बदलारस्में दुनिया की सूरत ना हुई<br>जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई<br><br>
जिससे जब तक मिले दिल ही दूर से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला<br>था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगारस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई<br><br>
तिज़ारत - व्यापार , व्यवसायवक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिलादोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई
दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा<br>'''शब्दार्थ :बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई<br><br>तिज़ारत= व्यापार, व्यवसायअदावत= दुश्मनीवक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला<br/poem>दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई<br><br> अदावत - दुश्मनी
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