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Kavita Kosh से
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है
न ही डर है तुम्हारा
क्योंकि मुझे पत पता है
तुम्हारे होने से नहीं है हमारा अस्तित्व
बल्कि आदमी है तो ज़िन्दा हो तुम