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नया पृष्ठ: '''लेखन वर्ष: २००३ '''<br/><br/> लहर इक ‘विनय’<br/> टकराया जो पत्थर से टूट गया<br/>...
'''लेखन वर्ष: २००३ '''<br/><br/>
लहर इक ‘विनय’<br/>
टकराया जो पत्थर से टूट गया<br/>
जब भी निकला आगे<br/>
उसके हाथों से एक हाथ छूट गया<br/><br/>

जब भी बैठता है<br/>
वो यारों के साथ तन्हा बैठता है<br/>
उसकी यारी इक ख़ता निकली<br/>
पास जिसके भी गया वो रूठ गया<br/><br/>

लहर इक ‘विनय’<br/>
टकराया जो पत्थर से टूट गया<br/><br/>

नाचीज़ खु़द को खा़स समझ बैठा<br/>
‘वो’ अजनबी पेश रहा<br/>
जब दिल की बात ज़ुबाँ पर लाया<br/>
मरासिम टूट गया…<br/><br/>

जब भी निकला आगे<br/>
उसके हाथों से एक हाथ छूट गया<br/><br/>

ग़म क्या थे?<br/>
अफ़सोस किस बात का करता वह<br/>
जब जी में आया उसके<br/>
खु़द का दोस्त बनके खु़द से रूठ गया<br/><br/>

लहर इक ‘विनय’<br/>
टकराया जो पत्थर से टूट गया<br/>
जब भी निकला आगे<br/>
उसके हाथों से एक हाथ छूट गया<br/><br/>