भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: धीरे-धीरे लड़का जाग रहा है<br/> धीरे-धीरे लड़का देख रहा है<br/> लड़का सू...
धीरे-धीरे लड़का जाग रहा है<br/>
धीरे-धीरे लड़का देख रहा है<br/>
लड़का सूरज जैसा है<br/>
लाल-लाल हँसते अंगारों जैसा<br/><br/>

तिरछी आंखों से देख रहा है<br/>
कड़वा मुंह लेकर दांतों में ओठ दबाये है<br/>
लड़का जाग रहा है<br/>
अकेला-अकेला घूम रहा है<br/>
इस शहर की एक गली मे है<br/>
गुस्से से भरा हुआ<br/>
अपने ही हाथों की नीली नसों मे सिमट रहा है<br/><br/>

अपने पैरों को ठोक रहा है<br/>
टूट रहा है चटक रहा है<br/>
खाली हाथों को कमरे की दीवारों पर मार रहा है<br/>
यह लड़का तड़प रहा है<br/>
यह भारत का लड़का है<br/>