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नया पृष्ठ: हमें अपने घर से टूट जाना चाहिए<br/> टहनी पर खिले गुलाब की तरह इच्छित ...
हमें अपने घर से टूट जाना चाहिए<br/>
टहनी पर खिले गुलाब की तरह इच्छित होकर<br/>
किसी पके फल की तरह स्वतः<br/>
या चिड़िया के बच्चों की तरह<br/>
हमें अपने घोंसलों से उड़ जाना चाहिए<br/><br/>

जब हमारे माँ बाप यह देखने लगे कि<br/>
हमारे बाजुओं की पेशियाँ फूल आईं हैं<br/>
और हमारी बहनों के उभार खाते दूध<br/>
तो हमारी बहनों को पड़ोसी से प्यार करना चाहिए<br/>
या चले जाना चाहिए दोपहरी भर किसी आफिस में<br/><br/>

हमारे थके- मांदे बुढ़ाते बाप जिनकी नसें धनुष की प्रत्यंचा सी टूट गई हैं<br/>
‌और मस्तक पर की सफेद बर्फ उग आई हो<br/>
न सम्हाल सकें अपना वासनातुर मन और पुराने विचारों का जाल न समेंट पाएँ<br/>
तो हमें इक्कीस वर्ष होते होते अपना घर छोड़ देना चाहिए<br/>