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जब हमारे माँ-बाप यह देखने लगे किहमारे बाजुओं की पेशियाँ फूल आईं हैंऔर हमारी बहनों के उभार खाते दूधतो हमारी बहनों को पड़ोसी से प्यार करना चाहिएया चले जाना चाहिए दोपहरी भर किसी आफ़िस में हमारे थके- मांदे बुढ़ाते बाप जिनकी नसें धनुष की प्रत्यंचा -सी टूट गई हैं<br/>और मस्तक पर की सफेद बर्फ सफ़ेद बर्फ़ उग आई हो<br/>न सम्हाल सकें अपना वासनातुर मन और पुराने विचारों का जाल न समेंट पाएँ<br/>तो हमें इक्कीस वर्ष होते -होते अपना घर छोड़ देना चाहिए<br/poem>